तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के पहले दिन महाराज जी ने सुनाई गुरु और नाम की महिमा,,

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जयपुर,11जुलाई 2022।(निक धार्मिक)
*गुरु भक्ति सबसे जरूरी*
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अजमेर रोड़ स्थित ठिकरिया गांव जयपुर में बाबा उमाकान्त महाराज आश्रम पर *तीन दिवसीय नज़रे इनायत गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम* के प्रथम दिन बाबा उमाकान्त जी महाराज ने सतसंग सन्देश में बताया कि आप सभी लोग थोड़े समय के लिए गृहस्थी के जंजाल से निकलकर सतसंग जल में स्नान करने के लिए आये है,ये आपका सौभाग्य है। मनुष्य शरीर को चलाने वाली शक्ति सबके अंदर एक ही है जिसे जीवात्मा कहते है,ये जयगुरुदेव धाम या सतलोक से नीचे उतारी गई और जैसे-जैसे नीचे उतरती गई वैसे-वैसे इस जीवात्मा पर, आवरण-पर्दा चढ़ता गया और हम भूल गए कि हम कहाँ से उतारे गए और इस मृत्यु लोक में आकर अपने प्रभु को भूल गए, इसलिए शांति नहीं मिल सकती है। वापस उसका रास्ता बताने का काम गुरु करते है। गुरु का स्थान सबसे ऊंचा होता है। गुरु भक्ति सबसे ज्यादा जरूरी होती है और गुरु के आदेश का पालन ही गुरु भक्ति है। जब गुरु से प्रेम और उनके आदेश का पालन करते है तो जीवन का जो असली लक्ष्य है जीवात्मा को पार करने का, वो पूरा हो जाता है।

*नामदान बेशकीमती*
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देश-विदेश से नामदान लेने के लिए पधारे भक्तों को सम्बोधित करते हुए महाराज जी ने फरमाया की जहां से सारी विद्या ख़तम होती है वहां से आध्यात्मवाद शुरू होता है और जहां सारा धन ख़तम है वहां से आत्मधन की शुरुआत होती है। तो नामदान बेशकीमती है। जिसके पास आत्मधन, आंतरिक दौलत आ जाती है उस पर मालिक की दया हो जाती है। तो नामदान से दूर होते है कष्ट जैसा आपको बताया वैसा करोगे तो आपको फ़ायदा मिलेगा।शारीरिक-मानसिक कष्ट दूर होंगे।
*शाकाहारी जीवन के संकल्प के साथ भक्तों पर नामदान की अमृत वर्षा*
महाराज जी ने पांडाल में उपस्थित विशाल जनसमूह को शाकाहारी सदाचारी जीवन का महत्त्व समझाते हुए बताया कि जब से समाज में मांसाहार बढ़ा है तब से बीमारियां बहुत बढ़ गई है।जो जानवरों को मारता है,लाता है,पकाता है,खाता है सबको बराबर पाप लगता है। सब पर कर्म आ जाते है , हमारा यही निवेदन है कि आप शाकाहारी हो जाये, यही आपकी गुरु दक्षिणा है। इसके पश्चात महाराज जी ने सभी भक्तों पर नामदान की अमृत वर्षा की।

    *देश-विदेश से आये श्रद्धालु*
    अपने दुखों को दूर कर महाराज जी से दया,दुआ आशीर्वाद लेने और जीते जी ईश्वर के दर्शन कराने वाले नामदान को पाने के लिए भक्तगण ना केवल भारत बल्कि अमेरिका ,दुबई, सिंगापुर, नेपाल से विशेष रूप से पधारे है।