निजी स्कूलों की हठधर्मिता : फीस के अभाव में ना पढ़ाई, ना परीक्षा और बोर्ड रजिस्ट्रेशन केवल लेट फीस के साथ फीस की डिमांड ,,, अभिभावकों ने कहा ,, इनकम खत्म हो गई, स्कूलों ने ना पढ़ाई करवाई ना ही कोई सुविधा, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना भी नही कर रहे है तो कैसे देंवे फीस ,,,

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संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा ” शिक्षा मंत्री अभिभावकों की शिकायतों को छोड़ निजी स्कूलों का उद्धघाटन करने में व्यस्त, अभिभावकों को कैसे मिले न्याय ”
जयपुर 18 जनवरी 2022।(निक शिक्षा) प्रदेश में पिछले दो वर्षों से चले आ रहे निजी स्कूलों की फीस का फसाद थमने का नाम ही नही ले रहा है, ना ही राज्य सरकार फीस मसले पर कोई ध्यान दे रही है और ना ही प्रशासन कोई ध्यान दे रहा है। अभिभावकों का आरोप है कि ” शिकायतों के बावजूद निजी स्कूल अपनी हठधर्मिता पर लगातार उतारू है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद स्कूलों ने पहले बच्चो की पढ़ाई रोक दी, अब परीक्षा रोककर एवं बोर्ड रजिस्ट्रेशन फॉर्म ना भरकर अभिभावकों सहित छात्र-छात्राओं को मानसिक तनाव झेलने पर मजबूर कर रहे है, खुले तौर पर अभिभावकों को बच्चों के भविष्य खराब करने की धमकियां दे रहे है।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि ” राज्य के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री सहित राज्य के प्रशासन तक को स्कूलों की हठधर्मिता की लगातार शिकायत दर्ज करवा रहे है किंतु अभिभावकों की शिकायतों को नजरअंदाज कर शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला निजी स्कूलों के उद्धघाटनों में व्यस्त हो रखे है, जबकि प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में स्कूल 31 जनवरी तक बंद है उसके बावजूद स्वयं शिक्षा मंत्री गाइडलाइन को फॉलो ना कर राज्य में कानून व्यवस्था ठप होने का संकेत दे रहे है। राजस्थान एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पिछले नो महीनों से ना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना हो रही है ना राज्य सरकार खुद के आदेश की पालना करवा पा रही है। अभिभावकों की जिन शिकायतों पर विभाग जांच बिठाता है वहां जांच अधिकारी जांच करने की बजाय अभिभावकों पर कम्प्लेंट वापस लेने और बच्चों को सरकारी में पढाने का दबाव बना रहे है।

अभिभावकों का कहना है कि ” हम ना राज्य सरकार से कोई रियायत मांग रहे है ना स्कूलों से कोई राहत मांग रहे है, सुप्रीम कोर्ट ने 03 मई और 1 अक्टूबर 2021 को जो आदेश दिए थे उसकी पालना सुनिश्चित करने की मांग कर रहे है। जबकि हकीकत में प्रदेशभर के हजारों अभिभावकों की इनकम पूरी तरह खत्म हो चुकी है, सेविंग खत्म हो चुकी है, स्कूलों ने इन दो सालों में दोयम दर्जे तक कि पढ़ाई नही करवाई, ना ही स्कूलों ने अभिभावकों और छात्रों को कोई सुविधा दी ऐसी स्थिति में स्कूलों की मनमर्जी फीस कैसे दे देंवे, जिसमे यह लोग फीस के साथ लेट फीस भी वसूल रहे है। राज्य सरकार से इस संदर्भ में बहुत आशा थी किन्तु सरकार की कार्यप्रणाली से स्पष्ट होता है कि वह केवल स्कूलों की कठपुतली है और स्कूलों के इशारों पर कार्यकर प्रदेशभर के अभिभावकों को प्रताड़ित कर रही है। जब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित नही होगी हम अभिभावक बिल्कुल भी मनमानी फीस नही चुकाएंगे।

*निजी स्कूल कुछ मीडिया समूह के सहारे वर्ल्ड बैंक के झूठे हथकंडो का सहारा लेकर अभिभावकों और छात्रों को गुमराह कर रहे है संयुक्त अभिभावक संघ*

    संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि ” प्रदेश के निजी स्कूलों की एसोसिएशन कुछ मीडिया समूहों का सहारा लेकर वर्ल्ड बैंक के झूठे हथकंडो को प्रकाशित कर प्रदेश के अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने की साजिश रच रहे है।
    अरविंद अग्रवाल ने कहा कि वर्ल्ड बैंक के शिक्षा अधिकारी का बयान क्या इतना गोपनीय था कि पूरे देशभर को छोड़कर केवल राजस्थान के दो-तीन प्रमुख न्यूज़ पेपर और एक-दो न्यूज़ चैनल पर ही प्रकाशित हुआ। नेशनल न्यूज़ चैनल पर वर्ल्ड बैंक के शिक्षा निर्देशक से सम्बंधित कोई न्यूज़ किसी भी चैनल पर प्रकाशित नही हुआ। किन्तु अब संयुक्त अभिभावक संघ को आशा अगले एक-दो दिन में यही निजी स्कूलों की एसोसिएशन सरकारों के साथ मिलकर इस संदर्भ में झूठी न्यूज़ का प्रकाशन करवाकर देशभर के अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करेगी।