मेटावर्स इंटरनेट 3.0 का एक प्रोडक्ट है जो वर्चुअल और वास्तविक दुनिया के बीच अंतर को दूर करता है’ : विशेषज्ञों ने आर्च द्वारा पिंक सिटी डिजाइन के दौरान किया विचार विमर्श,,

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-जयपुर के ग्रेटर नगर निगम के डिप्टी मेयर श्री पुनीत कर्णावत ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और आर्च के विद्यार्थियों से बातचीत की

जयपुर, 15 मार्च 2022।(निक सोशल)मेटावर्स इंटरनेट 3.0 का एक प्रोडक्ट है जो हमें अपने जीवन का वर्चुअल अनुभव करता
है। यह वास्तविक और आभासी दुनिया के बीच के अंतर को दूर करने में मदद करता है। ये विचार विमर्श यशिका
खटर, क्रिप्टो एजुकेटर, यूट्यूबर, मेटापर्स और एनएएस अकादमी, श्रुतिधर पालीवाल, सीईओ, फ्रैमटिक्स
होल्डिंग्स एबी, पुनीत मित्तल, सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक, प्रथम सॉफ्टवेयर (पीएसआई) संजय
यादव, प्रोग्राम आर्किटेक्ट, 100 कोफाउंडर्स लैब और मनन सुराना द्वारा पिंक सिटी कॉन्फ्लुएंस के ऑन-ग्राउंड सत्र में किया गया
है। इस सत्र में विशेषज्ञों ने एक इमर्सिव वर्चुअल स्पेस की अवधारणा के रूप में मेटावर्स के उपयोग के साथ एक
भविष्य की तस्वीर का संकेत दिया। कई विशेषज्ञों द्वारा मेटावर्स को इंटरनेट का अगला पड़ाव माना जा रहा है।

पिंक सिटी डिजाइन कॉन्फ्लुएंस 9 मार्च को डिजाइन कल्चर इनिशिएटिव के फ्लैगशिप के तहत आर्क कॉलेज
ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस में शुरू हुआ। दस देशों के 26 विद्वानों, डिजाइन पेशेवरों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं,
सलाहकारों और छात्रों ने हाइब्रिड कार्यक्रम में भाग लिया और विषय और उप-विषयों पर शोध पत्र, डिजिटल
पोस्टर और इंस्टॉलेशन प्रस्तुत किए। नई दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के विकास में डिजाइन-
प्रौद्योगिकी शिक्षा को कैसे उपयोग में लाया जा सकता है, इस पर विचार विमर्श करने के लिए शिक्षा और उद्योग
क्षेत्रों के बीच एक इंटरफेस बनाने के उद्देश्य से पिंक सिटी कॉन्फ्लुएंस का आयोजन किया गया।
फ्रैमटिक्स होल्डिंग्स एबी के सीईओ श्रुतिधर पालीवाल ने प्रौद्योगिकी पर अपने विचार व्यक्त किए और कहा,
“इंटरनेट 3.0 ने हमारे संवाद करने, जीने और व्यवहार करने के तरीके को बदल दिया है। मेटावर्स भी इंटरनेट 3.0
का एक उत्पाद है जो हमारे सामाजिक रूप से जुड़ने के तरीके को बदल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा
कि क्या मेटावर्स तकनीक हमेशा के लिए मौजूद रहेगी या समय के साथ गायब भी हो जाएगी ।“
कार्यक्रम में बोलते हुए याशिका खटर ने कहा, "मेटावर्स और कुछ नहीं बल्कि जीवन को वर्चुअल रूप से जीने का
एक तरीका है। मेटावर्स असली और आभासी वास्तविकता को जोड़ता है और एक व्यक्ति को आभासी दुनिया में
ले जाता है। हम सभी ने पोकेमैन; और पबजी जैसे विभिन्न गेमिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से इसका अनुभव
किया है, लेकिन इस नई तकनीक के आधार पर एक व्यक्ति आभासी दुनिया में प्रवेश कर पाएगा और आभासी
दुनिया में ही दूसरों के साथ बातचीत करने में सक्षम होगा।”

    कॉन्फ्लुएंस में राजस्थान के गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (जीईएआर) के साथ मटेरियलाइज़ बनाम
    डीमैटरियलाइज़ – इमर्जिंग ट्रेंड्स फॉर सोसाइटी 5.0 पर एक पैनल आयोजित किया गया। रामेश्वरी कौल, सह-संस्थापक कॉटन रैक, अनुपम आर्य, सह-संस्थापक, फैब्रिकोर और अर्चना सुराणा, निदेशक और संस्थापक आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस ने भाग लिया।

    पैनल का संचालन करते हुए सुश्री सुराणा ने कहा, “हम डिजाइन को कैसे देखते और समझते हैं, इसमें भारतीय
    ज्ञान प्रणाली की एक बड़ी भूमिका है। जब हम समाज 5.0 और एस्थेटिक्स के विकास के बारे में बात करते हैं, तो
    हमें रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भ को समझने की जरुरत होती है। हमारा
    समाज स्वाभाविक रूप से सामूहिक डिजाइन की अवधारणा प्रदान करता है। डिजाइन की इस समझ के साथ,
    शिक्षाविद इस बात पर विचार कर रहे हैं कि युवा इस नए भविष्य को कैसे आकार दे सकते हैं।”

    इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइनर के सौजन्य से आयोजित तीसरा सेशन बायोफिलिक इंटीरियर
    ऑफ़ दी मॉडर्न वर्ल्ड पर आयोजित किया। इस चर्चा में शीतल कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष आईआईडी – जेआरसी,
    आर्किटेक्ट मेघा भार्गव और निखिल अग्रवाल, चीफ आर्किटेक्ट, डिज़ाइन अटेलिएर इत्यादि ने भाग
    लिया। इस सत्र का संचालन भार्गव मिस्त्री, डीन, डिज़ाइन कल्चर, आर्च ने किया। उन्होंने सरकार से युवा सशक्तिकरण के कार्यक्रम जैसे आत्मनिर्भर भारत लाने का आह्वान किया

    फार्म. रिफार्म. ट्रांसफार्म के थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में डिजाइन क्षेत्र के लोगों को एक दूसरे के संपर्क में
    आने तथा विचारों के आदान-प्रदान के साथ अपनी रचनात्मकता को प्रदर्शित करने का मौका मिला और साथ ही
    उन सभी घटकों को संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ जो परिवर्तन शुरू करते हैं। इन ही परिवर्तनों को लाने
    में डिजाइन की भूमिका पर विचार विमर्श किया गया। ।

    आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस के बारे में
    आर्च की स्थापना 2000 में आर्च (एआरसीएच) एजुकेशनल सोसाइटी के तत्वावधान में विश्व स्तरीय और
    औद्योगिक रूप से प्रासंगिक, डिज़ाइन की शिक्षा देने के लिए की गई थी। आज 22 वर्षों में आर्च दुनिया भर से
    7000 से अधिक प्रोफेशनल्स, पूर्व छात्रों, छात्रों, अध्यापकों और सहायक कर्मचारियों का एक मजबूत समुदाय बन
    चुका है, जिनमें स्वीडन, जापान, स्पेन, यूके, यूएसए, कनाडा, नेपाल, ईरान, कोरिया, कुवैत, दुबई, कोलंबिया,
    ब्राजील, आदि शामिल हैं। डिजाइन अकादमी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर चलने वाले उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रमों की
    विस्तृत रेंज यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेशन सहित प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये पाठ्यक्रम
    व्यावहारिक और सैद्धांतिक कौशल का सही संयोजन प्रदान करते हैं, अनुभवी फैकल्टी सदस्य पाठ्यक्रम के
    विकास में अपना योगदान देते हैं, जिसमें नवीनतम तकनीकों, प्रक्रियाओं और सोच के साथ सामाजिक-
    सांस्कृतिक संदर्भो और उद्योग की जरूरतों की समझ प्रदान करना शामिल है। 2010 में, आर्च ने डिजाइन के लिए
    अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा – एआईईईडी – शुरू की। यह 2011 से ऑनलाइन चल रही एक खास परीक्षा है,
    जिसमें भारत और दुनिया भर से छात्र और डिजाइन अध्ययन करने के इच्छुक उम्मीदवार भाग ले सकते हैं।