किताब ही उजास की किरण दिखा सकती है – डॉ. सत्यनारायण – कलमकार मंच द्वारा प्रकाशित 12 किताबों का लोकार्पण,,

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जयपुर 30 जनवरी 2022।(निक साहित्य) देश की अग्रणी साहित्य संस्था कलमकार मंच की ओर से प्रकाशित 11 लेखकों की 12 किताबों के लोकार्पण समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में वर्तमान हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि देश इस समय अराजक दौर से गुजर रहा है, आमजन की आवाज दबाई जा रही है। हमारे पास युवा और मीडिया रूपी दो लालटेन है, लेकिन उनके माध्यम से भी उस आवाज को सशक्त तरीके से नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे कठिन समय में किताब ही है जो उजास की किरण दिखा सकती है।

फतेह टीबा स्थित एक होटल में आयोजित इस समारोह में देश के अनेक ख्यात साहित्यकारों के साथ कुछ नव साहित्य सृजकों की 12 किताबों का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार डॉ, सत्यनारायण, दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’, फिल्मकार गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा और रामगंज एसीपी सुनील प्रसाद शर्मा ने सीमित संख्या में उपस्थित साहित्यकारों की मौजूदगी में किया। इस अवसर पर पूरे समारोह का सजीव प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से किया गया जिसे देश के हजारों साहित्यकारों ने देखा।
समारोह के प्रारंभ में कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि हमारा काम सिर्फ साहित्य रचना और उसे प्रकाशित करना ही नहीं है, बल्कि किताबों को पाठकों तक पहुंचाना भी है। पाठक को कम और उचित मूल्य पर किताब उपलब्ध होगी तो उसे खरीदने में उसे परेशानी नहीं होगी,। लेखक को मान-सम्मान तभी मिलेगा, जब पाठक उसकी किताब पर प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने इस अवसर पर नए और युवा लेखकों से अपील की कि वे आत्ममुग्धता से बचें।

    वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूक आफरीदी ने इस अवसर पर खुद को कलमकार का नुमाइंदा बताते हुए कहा कि साहित्य आदमी को कभी गलत रास्ते पर नहीं जाने देता। जिस सोसायटी में हम रहते हैं उसमें अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार और अनैतिकता के अवगुण व विषाणु फैले हुए है, साहित्य ही है जो हमें इन सबसे बचाता है। किताब से अच्छा कोई मित्र नहीं हो सकता। साहित्य समाज में बदलाव लाता है, यह एक दिन में नहीं आता, लंबी प्रक्रिया है।
    वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हिंदी की किताबों को लेकर धारणा है कि वह महंगी होती हैं, यह आंशिक है, जब इंसान अपने कपड़े, रहन-सहन, खान-पान में महंगी चीजों को लेकर समझौता नहीं करता तो किताबों को लेकर ऐसी मानसिकता क्यों? पाठक किताबों को अपनी जरूरत या स्टेट्स सिंबल नहीं मानता। इस दिशा में कलमकार जिस प्रकार से पाठकों को सस्ती और कम मूल्य पर किताब उपलब्ध करा रहा है उससे धीरे-धीरे हिंदी पाठकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार इलाहाबाद, मेरठ और दिल्ली प्रकाशन के बड़े केंद्र रहे हैं उसी प्रकार पिछले चार साल में देशभर के लेखकों की करीब 75 किताबों का प्रकाशन कर कलमकार ने जयपुर को भी प्रकाशन का एक बड़ा केंद्र बना दिया है, जो जयपुरवासियों के लिए गर्व की बात है।
    समारोह में वरिष्ठ शायर लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’, फिल्मकार गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, एसीपी सुनील प्रसाद शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार त्रिभुवन, अरिंदम मिश्र ने भी उपस्थित साहित्यकारों को संबोधित किया। मंच संचालन युवा साहित्यकार स्नेह साहनी ने किया।
    समारोह में वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी के व्यंग्य संग्रह ‘धन्य है आम आदमी’, किस्सागोई फेम लेखिका उमा के कहानी संग्रह ‘चाँद, रोटी और चादर की सिलवटें’, महेश कुमार के उपन्यास ‘शहरी शरीफ़’, दशरथ कुमार सोलंकी के काव्य संग्रह ‘उजास के अर्थ’, ओमप्रकाश नौटियाल के कहानी संग्रह ‘शतरंजी खंभा’, डॉ. पीयूष चंद्र पंड्या के व्यंग्य संग्रह ‘ताल से ताल मिला’, सेवा सदन प्रसाद के लघुकथा संग्रह ‘अंत:प्रेरणा’, प्रकाश प्रियम के संस्मरण ‘अतीत का सफ़रनामा’, डॉ. भोला शंकर मिश्र के कहानी संग्रह ‘जीवन’ एवं ‘भ्रान्ति’, दीपक ठाकुर के काव्य संग्रह ‘पहाड़ी लड़की’ और नीतू झारोटिया ‘रूद्राक्षी’ के काव्य संग्रह ‘क्योंकि… बस इतना ही’ का लोकार्पण किया गया।
    कोरोना संक्रमण को लेकर जारी सरकारी दिशा निर्देशों की पालना करते हुए आयोजित इस समारोह में किताबों के लेखकों के साथ ही टीम कलमकार के भागचंद गुर्जर, अमरबीर सिंह ‘शंटी’, अमिताभ मिश्र सहित हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राएं एवुं अन्य साहित्यप्रेमी मौजूद थे।