उत्तरी भारत का पहला अस्पताल बना फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर, जहाँ अत्यन्त दुर्लभ रोग पैराथाइरॉइड सिस्ट का सफलतापूर्वक सर्जिकल उपचार किया गया : रोगी की आवाज में बदलाव से बचाया |

1462

गले की गांठो में पैराथाइरॉइड सिस्ट एक बेहद दुर्लभ रोग है। सम्पूर्णविश्व में अब तक यह केवल 300 लोगो में ही यह दुर्लभ रोग पाया गया है।
53 साल के रोगी को गले में दर्द, निगलने में तकलीफ होने के कारण अस्पताल में लाया गया था।
रोगी की फैमली हिस्ट्री में कैंन्सर होने की बात का पता चला ऐसे में रोगी को कैंन्सर होने से रोकने व उचित निदान के लिये सिस्ट को इन्टेक्ट (साबुत) निकालना एक चुनौती से कम नही था।
रेडियोलॉजिकल परीक्षण व एफ.एन.ए.सी. (फाइन निडल एस्पिरेशन साइटोलोजी) में दो अलग -अलग तरह की बीमारिया सामने आई । सिस्ट के साथ थायराइड नोड्यूल
पैराथाइरॉइड सिस्ट,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

  • जयपुर17.10.19(निक चिकित्सा)- राजस्थान के इतिहास में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में पहली बार गले में स्थित दुर्लभ और काफी बडी पैराथाइरॉइड सिस्ट का ऑपरेशन सफलता पूर्ण किया गया, यह सिस्ट अब तक सम्पूर्णविश्व में केवल 300 लोगो में ही पायी गयी है। फोर्टिस एस्कार्ट जयपुर में इस ऑपरेशन को कान- नाक गले रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहन कुलहरी एवं डॉ. बलजीत सिंह खंडूजा के नेतृत्व में सम्पन किया गया।
    अस्पताल में 53 साल के रोगी को गले में दर्द व निगले में तकलीफ होने के कारण अस्पताल में लाया गया, गले की सिटी.स्कैन और अल्ट्रासोनोग्राफी(USG) के जरिये पता चला की एक बडी गांठ गर्दन के नीचले हिस्से में बाई ओर थायराइड के काफी करीब है। जाँचो से यह भी पता चला की गांठ सांस की नली व खाने की नली से भी चिपकी हुई है, और एफ.एन.ए.सी.(FNAC) जांच में थायराइड की बीमारी लग रही थी।
    डॉ. मोहन कुलहरी, कान- नाक गले रोग विशेषज्ञ के अनुसार यह मामला पेचिदा हो गया था, क्योंकि रेडियोलॉजिकल परीक्षण व फाइन निडल एस्पिरेशन साइटोलोजी में दो अलग-अलग बिमारीयो की ओर इशारा कर रही थी। पहला सिस्ट के साथ थायराइड नोड्यूल और दूसरा पैराथाइरॉइड सिस्ट।
    कान- नाक गले रोग विशेषज्ञ डॉ. बलजीत सिंह खंडूजा ने बताया कि सिस्ट को निकालने के साथ सिस्ट के पास वाला थायराइड हिस्सा (हेमीथाइराइडिक्टोमी) भी निकालने का फैसला लिया गया। रोगी के परिवार में कैन्सर होने की स्थिति में निदान के लिये पूरे सिस्ट को इन्टेक्ट (साबुत) निकालना काफी चुनौती पूर्ण था। क्योंकि ऑपरेशन के दौरान यह भी पता चला कि स्वर यंत्र (वोकल कॉर्ड) को नियंत्रित करने वाली नर्व (तंत्रिका) अपने स्थान से काफी हटी हुई थी, और सिस्ट से चिपकी हुई थी। इस स्थिति में सिर के बाल जैसी पतली नर्व (तंत्रिका) को गांठ से सुरक्षित अलग कर आवाज को बचाना जरूरी था। बायोप्सी जांच में पैराथाइरॉइड सिस्ट पाया गया, जो कि एक दुर्लभ बिमारी है।
    इस ऑपरेशन में डॉ. कुलहरी और डॉ. खंडूजा के सहयोगी के रूप में डॉ. राजीव लोचन तिवारी, डायरेक्टर – एनेस्थीसिया, डॉ. ज्योत्सना भार्गव, एडिशनल डायरेक्टर -एनेस्थीसिया और डॉ. माधवी शर्मा, डायरेक्टर – पैथोलॉजी ने अहम् भूमिका निभाई।
    “इस प्रकार की संवेदनशील सर्जरी में अपनी निपुणता प्रदर्शित करने के लिए भारतीय चिकित्सकों के लिए एक अनूठा और अभूतपूर्व अवसर है। फोर्टिस की विरासत हमारे डॉक्टरों की सक्षम टीम द्वारा प्रदान किए गए त्वरित और सावधानीपूर्वक समाधान द्वारा बरकरार रखी गई है। मैं अस्पताल के कौशल के उत्थान के लिए डॉ. मोहन कुलहरी, डॉ. बलजीत सिंह खंडूजा और अन्य सहायक स्टाफ को अस्पताल में उनके कुशल सेवाओं के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
    मुझे यकीन है कि फोर्टिस ऐसे सक्षम चिकित्सकों के साथ भारतीय चिकित्सा बिरादरी के लिए उत्कृष्टता के मार्ग को बढ़ाने के लिए निश्चित है”,नीरव बंसल, जोनल निदेशक, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर, राजस्थान ने कहाँ हैं।