नेट-थियेट पर दिखा पारम्परिक भवाई का कमाल,, 13 वर्ष के सूर्यवर्धन ने सिर पर रखी 25 किलो की 8 चरियाँ – मुझे खुशी है कि मेरे पोते के भवाई नृत्य की शुरूआत नेट-थियेट से हुई – रूपसिंह शेखावत

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जयपुर 6 सितम्बर 2021।(निक सांस्कृतिक) प्रदेश के वरिष्ठ भवाई नर्तक रूपसिंह शेखावत के पौत्र एवं शिष्य सूर्यवर्धन सिंह धीरावात ने 13 वर्ष की उम्र में भवाई नृत्य की बारीकियां सीख उसे नेट-थियेट के मंच पर जीवंत किया। सूर्यवर्धन ने 25 किलो के आठ चरियां अपने सिर पर रखकर अद्भुत संतुलन का परिचय दिया वहीं गुरु के सबक को साकार किया।
नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि पूर्व में भी रूपसिंह शेखावत अपने शिष्य आशीश रूप मनोहर के साथ भवाई नृत्य की सफल प्रस्तुति दी तब श्री शेखावत को यह मंच इतना भाया की उन्हौने उसी समय मन बना लिया था कि मेरा पोता जब भी भवाई नृत्य की पहली सार्वजनिक प्रस्तुति देगा तो वह नेट-थियेट का मंच ही होगा।
*-ये है भवाई*

प्रदेश की प्राचीन परंपरा लोक नृत्य भवाई के वर्तमान में प्रमुख संवाहक रूपसिंह शेखावत माने जाते हैं। इनके शिष्य सूर्यवर्धन ने कांच के गिलास पर एवं तलवार की धार पर नंगे पांव शारीरिक संतुलन बना भवाई नृत्य की तकनीक को उजागर किया। इसके साथ ही लेट कर नृत्य करते हुए जमीन से नोट उठाकर ऑनलाइन दर्शकों की तालियां बटोरी। सिर पर गिलास रखकर उनके ऊपर आठ पीतल की चरियाँ रख शारीरिक संतुलन बनाकर नृत्य कर लोगों को मंत्रमुग्ध किया। भवाई में राजस्थानी गीतों की प्रस्तुति पर ही नृत्य होता है। जिसमें सुवटियो, तानिया रेशम की, बिणजारी आदि लोक रचना प्रमुख रही। मंच संचालन लोककला मर्मज्ञ एवं वरिष्ठ रंगकर्मी श्री ईश्वर दत्त माथुर ने किया।
रूपियो तो ले मै दर्जिडा क गई छी, हिवडै सं दूर मत जाय लग जावै तावडियो, कुण जी खुदयो कुआ बावडी, इथळ-पिथळ रो म्हारो देवडो, और सवडियो जैसे लोकगीतों के साथ भवाई की खूबसूरत प्रस्तुति से भादवे की बरसात की फूहारों के बीच व रूपसिंह शेखावत के सानिध्य में भवाई नृत्य का सफल मंचन हुआ।

    संगीत विष्णु कुमार जांगिड, प्रकाश मनोज स्वामी, व दृश्य सज्जा मुकेश कुमार सैनी, अर्जुन देव, सौरभ कुमावत, अजय शर्मा, जीवितेश शर्मा, अंकित शर्मा नोनू, धृति शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, अंकित जांगिड, तुषार शर्मा रहे।