16 दिसंबर, 2019 काे जवाहर कला केंद्र में आयाेजित हाेगा शाे *आई शाइन विद लव एड लाइट* इसके बारे में अनु सिंघवी ने बताया,

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अनु की कहानी, अनु की जुबानी,,

जयपुर 15 दिसम्बर 2019।(निक कला) मै अनु सिंघवी मूल रूप से जयपुर के प्रतिष्ठित रत्न व्यवसायी लूणिया परिवार की सदस्या हूं और वर्तमान में अमेरिका में रहकर कला साधना कर रही हूं।
मैं 16 दिसंबर को जवाहर कला केंद्र में एक इंटरएक्टिव आरट शो *आई शाइन विद लव एड लाइट* आयोजित करने जा रही हूं। ये मिक्स मीडिया शो, लाईट एण्ड साउण्ड इन्सटालेशनस्, मूर्तिकला, टेकसटाइल एवं विडियो आर्ट का अनूठा प्रजेंटेशन है जाे कि *जवाहर कला केंद्र* के कृष्णायन आडीटोरियम में शाम 4.00 बजे से अायाेजित किया जाएगा। शाे की अवधि करीब 45 मिनट की है।
यह प्रदर्शनी कई तरीको से कुछ अलग है –
 इसे रेशम और रतनों का आधुनिक समागम देखने को मिलेगा।
 इनके साथ विडियो आर्ट अनुठे तरीके में पेश की जायेगी।
 पोजेटिव और नेगेटिव इमोशनस् रत्नजड़ित मूर्तियों, *’स्कल्पचरस् ऑफ सेन्टीमेन्ट्’* के माध्यम से प्रदर्शित होंगे।
 दर्शकों को अपने आपको विडियो आर्ट के द्वारा एक्सप्रेस करने का मौका मिलेगा।
 इस माैके पर अार्टिस्ट एक कथक नृत्यांगना के साथ मिलकर पोईट्री विन्ड लाइट साउण्ड और डान्स का एक अनोखा परफोरमेन्स भी करेंगी।

*कलाकार का वक्तव्य*
मेरा ये विश्वास है कि अन्धेरा देख पाने पर ही मैं उजाले के गुण समझ सकती हूँ। वैसे तो रोशनी होने पर मुझमें खुशी की लहर दौड़ जाती है, मेरा दिल उड़ाने भरने लगता है और मुझे मेरी पुशतैनी हवेली की छत की याद आ जाती है जहाँ मुझे वही खुशी महसूस होती थी जब मेरी पंतग रंजिशो को काटते हुए खुले नीले आसमान में स्वच्छंद उड़ान भरा करती थीं। अब मैं मन की उड़ान भरती हूँ, अलंकिृत पंतगों के साथ एक आलोकोत्सव मनाती हूँ। क्या कभी कभी आप भी एैसा महसूस करते हैं?

*झिलमिलाती पंतगें – एक अहसास*
पंतगों का झुंड
चमकता दमकता
इठलाता चहुँ और
श्याम सिन्दूरी रत्नजड़ित किशोरी सा
आल्हादित अठखेलियाँ खाता हुआ
मत भेदों को चीरता
क्रोध कोप घमण्ड घृणा को हरता
हमें बुलाता ….
अत्र आगच्छ
इधर आओ
ओ सयानों का भेष धरे बालक
इधर आकर दुख बिसराओ
इधर आकर रमो विश्रान्ति पाओ
सन्धि सुलह मिलाप के ढ़ोल बजाओ
सन्धि सुलह मिलाप के गीत गाओ
कवयित्री – अनु सिंघवी

सामाजिक सन्दर्भ में, मैं प्रसिद्ध व्यक्तियों को एक जीवन्त पंतग का रूप मानती हूँ। वो हमारी दुनिया को अपने हुनर से चमका देते हैं, मन को खुश कर देते हैं … पर?
शायद इस प्रश्न का जवाब आपको मेरी कविता में मिल जाये।

*एक आलोकोत्सव*
कुछ छिपी हुई सच्चाईयों का अहसास
किरणोत्सव मनाऊँ
ऊँची उडूँ
उच्चतम
ताकि प्रतिछाया देख पाऊँ
सूरज से संघर्ष करूँ
गिर जाऊँ
ताकि न्यूनतम स्वर को
उपेक्षित कर पाऊँ
बस, देखती रहती हूँ
कृत्रिम सितारों को
एकटक अपने फोन पर
शायद यही लालसा लिये
कि काश मैं भी
एक तारा होती
सितारा होती
तो शायद जिन्दगी आला होती
तो ?
कभी उडूँगी कभी गिरूँगी
पर रोशनी का उत्सव तो मनाऊँगी
झिलमिलाऊँगी
अपने अन्धेरे में झाँक कर
पूर्ण हो पाऊँगी
कवयित्री – अनु सिंघवी
*आई शाइन विद लव एड लाइट*
एक आलोकोत्सव
अलंकिृत पंतगों का और
कुछ छिपी हुई सच्चाईयों का

मिक्स मीडिया, लाईट एण्ड साउण्ड इन्सटालेशनस्, मूर्तिकला एवं विडियो आर्ट प्रदर्शनी

यह इन्टरएक्टिव कला प्रदर्शनी मेरा प्रयास है लोगों के मन में एक संवाद प्रेरित करने का, परिवर्तन का साधन उजागर करने की कोशिश है, जिसको काम में लेकर हम सभी ज़िन्दगी की उथल पुथल में निड़र छंलाग लगा कर अपने बेरियरस् को तोड़ सकते हैं।
मैं चाहती हूँ कि सैलेब गोसिप के गुण अवगुण उजागर कर सकूँ और हमारी फेमस बनने की लालसा पर प्रकाश डाल सकूँ।
इस प्रदर्शनी का एक इन्टरएक्टिव इन्सटालेशन ‘आई शाइन विथ लव एण्ड लाइट’ के जरिये लोगों को स्पॉटलाईट में आने का मौका मिलेगा और एक अपोरचुनिटी मिलेगी उसके अन्दर छिपे स्वयं के रहस्यों को जानने का।
निजी तौर पर यही मेरा तरीका है अपने भीतर के आसमान ओर पाताल में गुलाटी खाने का और एक कलाकार होने के नाते यही मेरी सामाजिक प्रतिबद्धता भी है कि दर्शकों को अपनी कला के माध्यम से, काईट और सेलेब्रिटिस् की थीम के द्वारा सचेत कर सकूँ, अपने अन्दर के सच को जानने की प्रेरणा दे सकूँ।

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अनु सिंघवी के बारे में*
अमेरिकी आर्टिस्ट अनु एल सिंघवी एक ऐसी कलाकार हैं जिन्हे ये पूर्ण विश्वास है कि जिंदगी की उथल-पुथल ही शांति का मार्ग दिखला सकती है। उन्हें लगता है कि अंधेरे के क्षण समझ पाने से ही हम उजाले का रहस्य समझ पाते हैं।
अनु ने राजस्थान यूनिवसिर्टी से बी.एफ.ए. की डिग्री हासिल करके, पार्सन्स् स्कूल ऑफ डिज़ाईन, न्यू यॉर्क से फाइन आर्ट डिग्री पाई। कॉलेज के दिनों में स्टूडेन्टस् और टिचर्स के साथ मिलकर उन्होंने कला को बढावा देने के लिए सृष्टि आर्ट एण्ड क्राफ्ट सोसायटी नामक एन जी ओ की शुरूआत की और राजपुताना शेरेटन एवं जवाहर कला केन्द्र में कला प्रर्दशनियाँ लगाईं। उनका काम यू.एस.ए. और मिडल ईस्ट के नामी आर्ट कलेक्टरस् के कलेक्शन में भी शामिल हैं ।