राजस्थान कांग्रेस का रिफॉर्म ,लोकसभा चुनाव बाद,गहलोत होंगे सर्वेसर्वा

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एक राजनीतिक ड्रामें का पटाक्षेप चुनाव के बाद
–सत्य पारीक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ प्रदेशाध्यक्ष / उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अंदरखाने की लड़ाई से समझदार कांग्रेसी भली भांति वाकिफ हैं , जिसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हस्तक्षेप से सीजफ़ायर की दिखावटी स्थिति में ढक्कन बन्द किया हुआ है , ये पिटारा लोकसभा चुनाव के बाद स्वतः खुल जाएगा जब पायलट को एक पद त्यागने का समय आएगा , उसी दिन की इंतजार में गहलोत दिल थामे हुए हैं तथा पायलट को लेकर प्रचार करने की मजबूरी निभा रहे हैं ।
गहलोत को सोनिया गांधी , प्रियंका गांधी के इलावा राहुल गांधी का सहयोग प्राप्त है जो इनकी संगठनात्मक क्षमता के कारण है उधर पायलट का वर्चस्व केवल राहुल गांधी के लँगोटिया यार होने के कारण है इसी आधार पर पायलट को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी और उपमुख्यमंत्री का पद मिला हुआ है , गांधी परिवार के लिए गहलोत पायलट दोंनो जरूरी है , गहलोत के पास एक और ताकत है जिसके कारण सोनिया प्रियंका यानी मां बेटी उनका साथ देने को मजबूर है क्योंकि गहलोत रॉबर्ट वाड्रा के राजदार भी हैं जो यहां उल्लेखित करना ठीक नहीं है ।
अपने मनभेद-मतभेद भुला कर गहलोत के साथ पायलट ओर पायलट के साथ गहलोत लोकसभा चुनाव एक मंच से संचालित कर रहे हैं जबकि राहुल गांधी के सामने गहलोत ने कूटनीतिक प्रस्ताव रखा था कि पायलट राज्य की 25 में से आधी सीटों की जिम्मेदारी ले ले और प्रचार करें बाकी सीटे वे सम्भाल लेंगे मगर इसे पायलट ने स्वीकार नहीं किया , ऐसे में राहुल ने बीच बचाव कर सभी सीटों की जिम्मेदारी दोनों को सौंप दी जिसे मजबूरी में दोंनो निभा रहे हैं जिसका पटाक्षेप मई के बाद ही होगा जब पायलट एक व्यक्ति एक पद के पार्टी सिद्धान्त का पालन करेंगे तब गहलोत को अवसर मिलेगा अपने विश्वस्त को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कराने का ।
अगर पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष का पद त्याग दिया तो उनका राज्य की राजनीति से रवानगी का आखिरी कदम होगा और इसी पद पर बने रहे तो मुख्यमंत्री की दौड़ भी बनी रहेगी जबकि मुख्यमंत्री की हार्दिक इच्छा होगी कि पायलट उपमुख्यमंत्री बने रहे ताकि राज्य की राजनीति से उनका सफाया आसानी से किया जा सके इस राजनीतिक विधा में गहलोत का जादू सिर चढ़कर बोलता रहा है इन्होंने शिव चरण माथुर , नवलकिशोर शर्मा , हीरालाल देवपुरा , जगन्नाथ पहाड़िया , सी पी जोशी तक का राजनीतिक रूप से सफाया किया हुआ है ऐसे में पायलट को राज्य की राजनीति से हटाने में इन्हें ज्यादा समय नहीं लगेगा ऐसा राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चित है ।