2100 दीपकों की रोशनी से हुआ जगमग,जिफ का देशी-विदेशी फिल्मी संसार,अगला 12वां संस्करण गवाह बनेगा 5100 दीपकों की श्रंखला का

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जल्द बनेगी दुनिया की सबसे बड़ी और सिक्योर फिल्म लाइब्रेरी।

मंगलावर शाम 5 बजे गोलछा सिनेमा के टोवोली हॉल में होगी क्लोजिंग सेरेमनी और अवॉर्ड नाइट

जयपुर 21 जनवरी2019।(NIK culture)शाम का पहर ,गुलाबी नगरी की ज़रा गुलाबी ठण्ड,और २१०० दीपक एक क़तार में जगमगा रहे हों, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि नज़ारा कितना रोशन रहा होगा।
यह ख़ुशगवार नज़ारा था,जैम सिनेमा में चल रहे जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2019 के चौथे दिन का, जहाँ 2100 दीये प्रज्वलित कर, दुनिया की सबसे बड़ी और सिक्योर फिल्म लाइब्रेरी के लिए लैम्प सैरेमनी का आयोजन हुआ।
जिफ की ओर से जल्द ही इस फिल्म लाइब्रेरी को फिल्म प्रेमियों और छात्रों के लिए शुरू किया जाएगा। इस तरह की लाइब्रेरी होना, देश भर में पहली मर्तबा होगा, और ज़ाहिर तौर पर यह बहुत ही उपयोगी और सार्थक सिद्ध होगा।
जिफ संस्थापक हनु रोज ने बताया कि यह विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, और ३० बीघा ज़मीन में इस विशाल लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा। यहाँ हर देश का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक फ़िज़िकल सेंटर होगा, साथ ही यह लाइब्रेरी ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों ही प्रकार से कार्य करेगी। हनु रोज ने जानकारी कि कि यह लाइब्रेरी पुरानी फ़िल्मों के साथ – साथ वर्तमान में बन रही फ़िल्मों को सहेजने का कार्य करेगी, जिससे वर्तमान सिनेमा और फ़िल्में आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे। इसी उद्देश्य के साथ वर्ष 2019 में 2100 दीपक जलाए गए थे, वहीं जिफ के अगले संस्करण में 5100 दीए प्रज्वलित किए जाएँगे।

गोलछा सिनेमा में ४०० से अधिक बच्चों ने देखी फिल्म सूरमा, खचाखच भरा रहा हॉल
सुबह के स्क्रीनिंग सैशंस में, बच्चों के लिए खास रही फिल्म सूरमा। शाद अली के निर्देशन में बनी फिल्म सूरमा, गोलछा सिनेमा के नाइल में बच्चों को दिखाई गई, जिसका स्कूलों से आए छात्र – छात्राओं ने भरपूर आनन्द लिया। हनु रोज के दिवंगत पुत्र आर्यन रोज की याद में रखी गई इस स्क्रीनिंग में रोज पब्लिक स्कूल, दा पैलेस स्कूल, गीता ग्लोबल स्कूल और अन्य स्कूलों के ४०० से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया।

देशी – विदेशी फ़िल्मकारों ने की खुली चर्चा
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि जिफ फिल्मों का महाकुम्भ है। फ़िल्मों के लगातार प्रदर्शन के साथ ही, यहाँ फ़िल्मकारों के बीच संवाद और चर्चा के लिए भी बहुतेरे मंच सजाए जाते हैं। जैम सिनेमा में रखी गई, ऐसे ही एक विशिष्ट चर्चा में फ्रांस, जर्मनी, बांग्लादेश, स्विट्ज़रलैंड, ईरान, श्रीलंका, कनाडा, नाइजीरिया, नेपाल और पोलैंड से आए फ़िल्मकारों ने संवाद किया। सत्र में यू.एस.ए. की फ़िल्मकार किकि शक्ति, नेपाल से बिकास, मानव कौशिक, नाइजीरिया से फ़्लोरेंस ट्रोटमैन, पैट्रिशिया ग्रुबेन, मार्टिन गोटफ्रिट और अन्य फ़िल्मकारों ने हिस्सा लिया।जाने – माने अभिनेता और कई फ़िल्मों में सह – निर्देशन तथा स्क्रिप्टिंग कर चुके मानव कौशिक ने अपनी बंगाली शॉर्ट फिल्म भालोबसर जोन्ये भालोबसर सोन्गे [ फ़ॉर लव विद लव] बारे में बताया, जिसमें उन्होने बहुत ही रोचक ढंग से एक गिरते हुए पेड़ की इंसान की ज़िंदगी के उतार – चढ़ाव के साथ तुलना की है। उन्होने पेड़ को किसी इंसान की तरह मानते हुए फिल्म बनाई है। ग़ौरतलब है कि मानव, विशाल भारद्वाज के साथ ओंकारा, मटरू की बिजली का मण्डोला और अन्य कई बड़ी फ़िल्मों के लिए काम कर चुके हैं। यू.एस.ए. की फ़िल्मकार किकि शक्ति ने कहा कि हमें लीक से हटकर नए विषयों पर फिल्म बनाने की ज़रूरत है। साथ ही बजट पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की बजाय आइडिया और कॉन्सेप्ट पर काम करने को तवज्जो देनी चाहिए।

नाइजीरिया की महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की कहानी है ओसन, दा गॉडेस
फिल्म ओसन, दा गॉडेस की को – प्रोड्यूसर फ़्लोरेंस ट्रोटमैन ने नाइजीरिया में महिलाओं की समस्याओं को लेकर, यह फिल्म बनाई है। फिल्म, महिलाओं पर होने वाली शारीरिक हिंसा और अत्याचारों के बारे में बात करती है। फ़्लोरेंस मानती हैं कि महिलाओं को एक – दूसरे के प्रति उदार होने की ज़रूरत है। एक – दूसरे से ईष्या या नकारात्मकता महसूस करने के बजाय स्त्रियों को परस्पर सहयोग करना चाहिए। नाइजीरिया से आई फ़्लोरेंस का जिफ और जयपुर में यह पहला अनुभव है, और वे मानती हैं कि जिफ में शामिल होकर उन्होंने फिल्म निर्माण से जुड़ी कई बातें सीखी हैं।

जिफ के ज़रिए फ़िल्मकारों से होती है विस्तृत चर्चा
नेपाल से आए फिल्म निर्देशक बिकास नेउपाने की फिल्म लछमानिया एक लड़की के बारे में है, जिसकी शादी ५ – ६ साल की उम्र में हो जाती है, लेकिन बरसों तक वह मायके में रहकर पति का इंतज़ार करती रहती है। लछमनिया, बिकास की १२वीं फिल्म है, और इससे पहले वे साइलेंस ऑफ़ दा रिक्शा, शुभारम्भ और साहस सरीखी फ़िल्में बना चुके हैं। बिकास जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को दूसरे फिल्म समारोहों से अलग मानते हैं, चूँकि यहाँ फ़िल्मकारों को नज़दीक से जानने, समझने और फ़िल्मों पर चर्चा करने का अवसर मिलता है।

जारी रही फ़िल्मों की स्क्रीनिंग
ईरान से आए हुसैन नूरी कि फिल्म माय आम्र्स फ्लू दिखाई गई। लगभग ६० मिनट लम्बी यह फिल्म एक फ़ीचर फ़िक्शन फिल्म है। जर्मनी से आई फिल्म माय अफ़ग़ान डायरी का प्रदर्शन हुआ। वहीं, स्क्रीन होने अन्य अहम फ़िल्में रहीं – इरा टाँक की फिल्म रेनबो, शिल्पा कृष्णन शुक्ला की फिल्म ताशी, बिफ़ोर आय फॉर्गेट, वरदानिया, जावेद शरीफ़ की फिल्म इण्डस ब्लूज़, शाद अली की फिल्म सूरमा, गोंकालो रेबालो की फिल्म दा डैड, सैण्ड्रा गोकुन की फिल्म कॉमर्शिल ब्रेक। डॉ. राम मनोहर लोहिया के जीवन पर आधारित फिल्म – एम्बेसडर ऑफ़ सोशियलिज्म – लाइफ़ एण्ड टाइम्स ऑफ़ डॉ. राम मनोहर लोहिया का प्रदर्शन हुआ।

कल शाम होगी क्लोजिंग सेरेमनी और अवॉर्ड नाइट
कल शाम क्लोजिंग सेरेमनी होगी, जहाँ दुनिया भर की देशी – विदेशी फ़िल्मों को अवॉर्ड्स दिए जाएंगे। गोलछा सिनेमा के टीवोली स्क्रीन में शाम ५ बजे से सेरेमनी की शुरुआत होगी। जिफ की क्लोजिंग सेरेमनी में श्रीलंका की फिल्म निर्देशक सुमथी सिवामोहन की फिल्म सन्स एण्ड फादर्स दिखाई जाएगी। साथ ही एमिले उपजैक की फिल्म मूविंग पार्ट्स प्रदर्शित होगी, जो त्रिनिदाद एण्ड टोबेगो से आई फ़ीचर फ़िक्शन फिल्म है।