क्या संपत्ति का लालच दिनेश की हत्या का कारण बना ? एक बुजुर्ग मां अपने इकलौती संतान के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए भटक रही है दरबदर,, डीजीपी से लगाई न्याय की गुहार,,

263

मृतक दिनेश

किशनगंज बारां 18 अक्टूबर।(निक क्राइम) 30 मई 2022 को दिनेश कुमार धाकड़ उम्र 23 वर्ष अपने घर से बिना कहे किसी फोन के संदेश पर घर से 4:00 बजे निकला और फिर कभी घर नहीं आया अपने मां-बाप का इकलौता सहारा दिनेश होनहार छात्र था । जो पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर का कार्य भी सीख रहा था और कभी-कभी अपने पिता के सब्जी के ठेले पर भी उनकी मदद के लिए हाथ बटाने में पीछे नहीं रहता था।

मृतक की सगी बहन ने घर से भागकर अपनी मनमर्जी से विवाह कर परिवार के शांत माहौल में अशांति घोल दी थी । लेकिन किसी को भी सपने में पता नहीं था कि इस घटना के बाद किशनगंज बारां में रहने वाले बुजुर्ग एक गरीब माता-पिता को अपने इकलौते होनहार छात्र को पुलिस द्वारा पागल करार देकर हत्या को आत्महत्या में तब्दील करने जैसा जघन्य कारनामा पुलिस द्वारा किया जाएगा? यह जांच का विषय है।
अपने पुत्र से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो गए बुजुर्ग माता-पिता यह जानते समझते हुए भी आज भी अपने पुत्र की हत्या को आत्महत्या मानने को तैयार नहीं ।

    यह जानकारी दी दिनेश की माता ने मीडिया को जयपुर में जब वह पीएचयू में न्याय की गुहार के लिए डीजीपी से मिलने आई थी। मृतक की माता ने आगे बताया कि उन्हें पता था कि मेरा पुत्र तैरना भी जानता था फिर वह कैसे डूब गया। जैसा किशनगंज बारा की पुलिस ने मृतक की माता को जानकारी दी थी। पीड़ित माता ने आशंका जताई की कुएं में कपड़े खोलकर बेटा दिनेश कैसे वहां पहुंचा। कहीं उसे गला घोट कर किसीने कुएं में तो नहीं डाल दिया ?
    यह अनजान पहेली आज भी नहीं सुलझ पा रही है। जिस साइकिल से घर से निकला था दिनेश धाकड़ वह साइकिल भी आज तक पुलिस छोटे से कस्बे में बरामद तक नहीं कर पाई है । जबकि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार दम घुटने से मृत्यु हुई है लेकिन पानी में डूबने से पहले उसका गला किसने घोटा इस दिशा में पुलिस ने अभी तक ठीक से जांच नहीं की ।जबकि माता-पिता ने अपने परिजनों पर शक जाहिर भी किया, लिखित में रिपोर्ट भी दी लेकिन पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ तक नहीं की उन्हें थाने में बिठाकर क्यों छोड़ दिया। यह अपने आप में एक संदेह प्रकट करने के लिए काफी है । जिन लोगों ने मृतक की मां को घर आकर पुलिस में कार्रवाई नहीं करने की हिदायत दी और खर्चा पानी देने की वकालत भी की । उन लोगों के खिलाफ भी पुलिस ने अब तक क्यों नहीं कार्रवाई की । यह भी अपने आप में एक पुलिस की भूमिका पर संदेह प्रकट करता है।

    मृतक दिनेश की माता

    मृतक के मां बाप के अनुसार तो उनके बेटे की हत्या पुलिस की मिलीभगत से की गई है। स्वयं मृतक के चाचा ने अपने भतीजे को पागल करार देकर हत्या को आत्महत्या में तब्दील करने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है उन्होंने यह भी शक जाहिर किया मृतक की माता ने मीडिया के सामने।
    मां बाप को अपने बेटे की लाश तक उपलब्ध नहीं कराई गई । पुलिस ने इकलौते बेटे के गम में परेशान मां-बाप को भी पागल करार दे दिया है। जबकि वह अनपढ़ गरीब पिछड़े वर्ग के बुजुर्ग माता-पिता अपने इकलोते पुत्र की हत्या में इतने दुखी हो गए कि उन्होंने कई कई दिनों तक खाना तक नहीं खाया अपनी सुध तक नहीं ली । इस बेसुधी के आलम को पुलिस द्वारा अच्छे भले माता-पिता को पागल करार देना और उनके होनहार छात्र को भी पागल करार देकर हत्या को आत्महत्या में तब्दील करने जैसा घिनौना कारनामा करके राजस्थान के इतिहास में एक और काला अध्याय पुलिस के नाम कर दिया है। जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए वह कम है । ऐसे अत्याचारियों को जब तक सजा नहीं मिलेगी तब तक कानून पर विश्वास कायम नहीं होगा ।

    17 अक्टूबर को बुजुर्ग मां ने पुलिस महानिदेशक के समक्ष अपनी प्रार्थना लेकर गुहार लगाई है कि उनके पुत्र की हत्या मैं शामिल लोगों को सजा दिलाई जाए।
    पुलिस महानिदेशक ने भी गरीब मां की सच्चाई को सुनकर दोबारा से जांच करवाने के आदेश पुलिस अधीक्षक को दिए हैं अब देखना यह है कि सच्चाई से पर्दा उठता है या फिर वही झूठ को सच मानकर सच्चाई की आवाज दबाई जाती है।
    यह सब भविष्य के गर्भ में है कि न्याय मिलेगा या दुखियारी को अन्याय ही अपने हिस्से में आएगा।