अपनेपन का प्रतीक है होली* *@ रेख राज चौहान,,

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जयपुर 16 मार्च 2022।(निक धार्मिक)होली जहां एक और किसान को मिलती है नई फसल की खुशी अपनों को मिलती है अपनों से गले मिलने की खुशी गिले-शिकवे दूर करने की खुशी मेल मिलाप की खुशी होली त्यौहार है मेलजोल बढ़ाने का मीठी -मीठी गुंजियो के साथ रिश्तो में मिठास बढ़ाने का होली पर्व है रंग गुलाल लगाकर गले मिलकर अपना पन बढ़ाने का अपनत्व दर्शाने का होली पर्व पर घर के बनाए शुद्ध स्वादिष्ट व्यंजन के साथ हर्बल रंगों से जहां तक हो सकता है स्वयं निर्मित फल सब्जियों वनस्पतियां से बने रंग गुलाल से होली खेले आप टेसू के फूल चुकंदर मेथी पालक टमाटर पपीता मुल्तानी मिट्टी चंदन पाउडर पीली मिट्टी चिकनी काली मिट्टी जैसे पदार्थों से होली का आनंद लें साथ ही कोरोना अभी पूरी तरीके से गया नहीं है।

इसलिए कोविड-19 प्रोटोकोल का भी ध्यान रखें बहुत लंबे समय तक इस बदलते मौसम में गीले ना रहे शरीर को ऐसा कोई मौका न दें कि वह सर्दी जुकाम बुखार की चपेट में आ पाए एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाएं न केवल मोबाइल फोन इत्यादि से बल्कि व्यक्तिगत मिलकर के भी व एक जगह अपना रंगारंग कार्यक्रम जमा करके भी सह परिवार सभी आयु वर्ग के सभी परिजन हंसते नाचते गाते जी भर के फोटोग्राफी सेल्फी का आनंद लेते हुए स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ होली पर्व मनाए होली हमारी संस्कृति का प्रतीक है इसे बदरंग ना करें इसमें नशे को हावी ना होने दें नशीले पदार्थों वह जुआ को त्यौहार में शामिल ना करें त्यौहार मनाते समय संपूर्ण परिवार की खुशी का ध्यान रखें