गंदा है पर धंधा है यह ,,,राजनीति मैली हो गई है,, एक विधायक की कीमत 35 करोड़,, राजस्थान ही नहीं कमोबेश पूरे देश की राजनीति का यही हाल है जनप्रतिनिधि अब धन प्रतिनिधि हो गए हैं,,

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जहाँ 1.एक ओर मंदिर मस्जिद की लड़ाई बरसों से चल रही है वही अब विगत कुछ सालों से चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने का कार्य प्रगति पर है,,
2.राज्य सरकार के स्पीकर सुप्रीम कोर्ट में अपने विशेषाधिकार के लिए गए हैं, वही देश के प्रधानमंत्री भी अपना विशेष अधिकार कब उपयोग में लाएं यह अभी देखना बाकी है,,
3.सीएस राजीव स्वरूप को कैबिनेट मीटिंग में स्पष्ट रूप से कह दिया गया है सरकारी महकमों में काम की रफ्तार तुरंत बढ़वाने का प्रयास करें,,,

पैसों का खेल और हल्की भाषा का प्रयोग,,,,!

जयपुर 23 जुलाई 2020।(निक राजनीतिक) –सन्नी आत्रेय–कर्नाटक और मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान की राजनीति में उठापटक जारी है। मुख्यमंत्री कौन की लालसा के चलते,, सचिन और गहलोत की लडाई अपने चरम पर है, जिसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
सरकारी महकमों में काम नहीं के बराबर हो रहा है और ज्यादातर सरकारी कर्मचारी सिर्फ दफ्तर आने-जाने का वेतन उठा रहे हैं। वही दूसरी ओर कोरोना संक्रमण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जैसे लॉक डाउन की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया हो,, लॉकडाउन के समय से ही काम धंधा चौपट हो गया था। मार्च से जुलाई तक के 5 महीने आमजन ने कैसे गुजारे उनकी पीड़ा सिर्फ वही जानते हैं।
राजस्थान विधानसभा के स्पीकर अपने विशेषाधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चले गए हैं वही सनद रहे प्रधानमंत्री भी अपने विशेषाधिकार का उपयोग करने के लिए तैयार बैठे हैं तो यह आपसी लड़ाई देश की जनता को कहां ले जाएगी, देश के विकास का क्या होगा,,
जहाँ एक और मंदिर मस्जिद की लड़ाई बरसों से हमारे देश में चल रही है और अब विगत सालों से सत्ता लोलुपता के चलते सरकारों को अस्थिर करने का कार्य प्रगति पर है।
आमजन की भी मजबूरी यही दो पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी रह गई है

आखिर जनता जाए तो जाए कहां चारों स्तंभ सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के चरमरा गए चारों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर अपनी ही जडे खोद रहे हैं।

पेट्रोल डीजल व रोजमर्रा की वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों व बेरोजगारी पर विचार करने की बजाय, सब काम काज छोड राजनीतिक फिल्मी ड्रामा के हर किरदार के अभिनय को देख मजा ले रही है अभी पर इसका परिणाम इसी जनता को भुगतना पड़ेगा शायद इससे वह अवगत नहीं है।
एसीबी एसओजी, ईडी,इनकम टैक्स, सीबीआई सब को मानो जैसे काम मिल गया हो ।
एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के साथ विधायकों की खरीद-फरोख्त का यह सिलसिला कब थमेगा कुछ कहा नहीं जा सकता जनता कब जागरूक होगी कब आमजन की खामोशियां टूटेगी इंतजार रहेगा,,, क्रमशः