*विश्व हार्ट डे * पर विशेष,, दिल को बचाने के लिये हाइपरटेंशन से बचें – डॉ अमित कुमार सिंघल, सलाहकार- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल, जयपुर

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जयपुर 29 सितम्बर 2019।(निक मेडिकल)दिल का दौरा एक मेडिकल इमरजेंसी है। हालांकि,ऐसी अनेक स्थितियां हैं जहां आपको दिल का दौरा पड़ सकता है और जिसकी अभी पहचान नहीं हो पायी है। इसे ‘साइलेंट हार्ट अटैक’ के रूप में भी जाना जाता है, इस तरह के रोग के लक्षण वास्तविक दिल के दौरों की तुलना में अधिक घातक हो सकते हैं क्योंकि यह आपको भविष्य में दिल के दौरे के बढ़ते संकट की जानकारी नही देता है। इसे साइलेंट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एसएमआई) के नाम से भी जाना जाता है, यह 45 प्रतिशत दिल के दौरे का कारण है और पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि साइलेंट अटैक होने का जोखिम हाई हाइपरटेंशन या ब्लड प्रेशर से जुड़ा है- दिल के दौरे पड़ने में यह प्रमुख भूमिका निभाता है। डाक्टरों के अनुसार एक आइडियल रक्तचाप 90/60 एमएमएल एचजी और 120/80 एमएमएल एचजी के बीच रहता है। 140/90 एमएमएल एचजी से अधिक कुछ भी उच्च रक्तचाप है। राजस्थान में लगभग 7 प्रतिशत महिलाओं और 15 से 49 वर्ष की आयु के 12 प्रतिशत पुरुषों में उच्च रक्तचाप रोग बहुत पाया जाता ह्रै। यह सुझाव देना गलत नहीं होगा कि भले ही उनके तंबाकू, मधुमेह, मोटापा, या कोलेस्ट्रॉल की खपत जैसे अन्य जोखिम कारक न हों, लेकिन इन पुरुषों और महिलाओं में फिर भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

उच्च रक्तचाप और साइलेंट हार्ट अटैक,,,,,

हम क्या खाते हैं और कैसे हम कैलोरी का उपयोग करते हैं, इससे हमारे दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने में बहुत फर्क पड़ता है। हमारी आधुनिक, शहरी जीवन शैली खाने के लिए जो रास्ता चुनती उसमें कैलोरी ज्यादा है, लेकिन इसमें मैदायुक्त आटा, चीनी, नमक और ट्रांस-वसा की मात्रा अधिक होती है और पोषक तत्व कम होते हैं। इसके अलावा शहरों में अधिकांश लोग कम शारीरिक गति श्रम करते हैं जिसकी वजह से तन, धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का लगातार निर्माण होता है जो धीरे-धीरे धमनियों को संकरा कर देता है। यह धमनियों पर अतिरिक्त दबाव का कारण बनता है जिसके कारण क्षति होती है, ऐसे में एथेरोस्क्लेरोसिस रोग हो जाता है । जैसा कि प्लाक धमनियों को सख्त करता हैं, खून का जमने की आशंका अधिक हो जाती है। जब खून का जमना धमनी को बंद करते हैं, तो हृदय की मांसपेशियों से रक्त का प्रवाह रुकता है, इस वजह से हृदय को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की मांसपेशियों में कमी पैदा होती है। हृदय की मांसपेशी क्षतिग्रस्त या दिल का दौरा पड़ता है और रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। (जिसे मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन या एमआई के रूप में भी जाना जाता है)। ऐसे में हार्ट तक खून पहुचने में रुकावट आती है और हृदय की सेहत के लिये उत्पन्न हो जाता है। इससे व्यक्ति को अन्य दिल के रोगों के खतरे व समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे हालात में उपचार की तुरंत जरूरत होती है यदि सही इलाज नहीं हुआ तो हृदय को खून की आपूर्ति लगातार रुक सकती है। इस कंडीशन में अच्छे से अच्छै उपचार कराने की जरूरत होती है।

चेतावनी के संकेत और उसके उपाय,,,,

यह कहना गलत होगा कि कार्डियेक अटैक के लक्षण दिखते नहीं है इस बीमारी से अनजान लोग उन लक्षणों को पहचान नहीं पाते है। वो हार्ट के लक्षण व इशारों को समझने में सक्षम नहीं होते है। ऐसे में लोग इन लक्षणों को किसी सामान्य रोग के लक्षण मान लेते हैं उसके प्रति लापरवाह हो जाते है।
डाक्टरों के अनुसार दो बहुत ही आम समस्याएं हाजमा खराब होना और मांस पेशियों में दर्द होना है। लेकिन ऐसे हालात हार्ट में खून कम पहुंचने के समय भी होते हैं। दिल का दौरा पड़ने के दौरान लोगों को मतली या अत्यधिक पसीने का अनुभव भी हो सकता है जिसे एटिपिकल लक्षणों के रूप में माना गया है। यदि आपको दिल का दौरा पड़ने का कोई भी जोखिम कारक है, तो निम्न में से अधिक अनुभव होने पर तत्काल चिकित्सक व अस्पताल की तलाश करें:
सीने के बीच में दर्द या बेचैनी कुछ समय तक महसूस करना। ऐसा लगे कि कुछ है जो पीठ से कुछ समय के लिये छाती तक आता है और वापस चला जाता है। इससे बेवजह का दबाव, छींकें और दर्द महसूस हो सकता है।
बेचैनी के दौरान व पहले शरीर के उपरी हिस्से में जैसे बांहें, गर्दन, पीठ जबड़े और पेट में तकलीफ होना। इस दौरान सांस लेने में दिक्कत व तकलीफ हो सकती है।
सर्दियों में भी पसीना आना, जुकाम होना या सिर का हल्का होना।
बचाव व रोकथाम प्रक्रिया के दौरान पूरे शरीर का परीक्षण किया जाता है जिसके दौरान आर्टरी ब्लॉकेज के बारे में जानकारी की जाती है। इसके अलावा अन्य जोखिम वाले कारक जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल, मोटापा व सिगरेट बीड़ी पीना हैं। इसके अतिरिक्त खानपान, जीवन शैली के बदलाव और डाइट आदि पर नियंत्रण डाश डाटरी एप्रोच जव स्टॉप हाइपरटेंशन प्रणाली के तहत की जाती है।
डाश के तहत खानपान पर एक चार्ट के तहत रखा जाता है। लो या हाई ब्लड प्रेशर में भी सुधार के संकेत आने लगते हैं।

  • इसके अतिरिक्त रोज 20 मिनट की ऐक्सरसाइज से भी दिल के रोगों को भी दूर रखा जा सकता है। जबकि आलसी और लापरवाह लोगों में दिल की बीमारियां होने की आशंका तीन गुना अधिक होती है। मोटे लोग जो ऐक्टिव रहते हैं और नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करते हैं उन्हें दिल की बीमारियां होने की गुंजाइश कम रहती है।