समानांतर साहित्य उत्सव ,अपने दूसरे संस्करण में ही बन गया महा- उत्सव, इस बार होगी सच की पड़ताल,मिथ्या की पहचान

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वैचारिक दृढ़ता का प्रतीक बनेगा समानांतर साहित्य

उत्सव,राजनीति और धर्म का सच क्या है,इतिहास का पुनर्लेखन क्यों आवश्यक,परिणामस्वरूप,पाठ्यक्रमों में बदलाव का सच क्या है,,,,112 सत्रों में होगी सभी भाषाओं के साहित्य की बात,चर्चा व बहस
जयपुर 20 जनवरी2019।(NIK culture) 27 जनवरी से शुरू हो रहे समानांतर साहित्य उत्सव इस बार कुछ खास उपलब्धियों,परिचर्चाओं व समसामयिक विषयों पर बहस के साथ शुरू होने जा रहा है ।
अपने पहले ही संस्करण में साहित्य व कला जगत में एक आशा व ऊर्जा संचार के साथ अपनी एक अनूठी पहचान बनाने में कामयाब हो चुका है,जिसकी खनक व उत्साह इस दूसरे संस्करण में साफ दिखने वाली है ।
राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष ऋतुराज ने बताया कि इस बार साहित्यिक बहस,चर्चा के साथ साथ समसामयिक विषयों जैसे दलितों के मुद्दे,संवैधानिक संकट,न्यायपालिका सर्वोच्च व सर्वमान्य है या नहीँ,इसका सच क्या है,,नोटबन्दी घोटाला या कुछ और,राजनीतिक कवि क्या सच्चा कवि है या वो जो रोमांटिक है उसे कवि की संज्ञा दी जानी चाहिए, फेक पत्रकारिता की प्रासंगिकता क्या है या पत्रकारिता, साहित्य आज मजबूर है ,क्या है इसका सच,इस पर नामचीन इतिहासकार,साहित्यकार व प्रतिश्ठित वक्ता इनसब पर अपने विचार रखेंगे ।
उत्सव के मुख्य संयोजक ईशमधु तलवार ने बताया कि इस बार खास तौर पर फिल्म इंडस्ट्री के महान गीतकार शैलेन्द्र पर एक पूरा सत्र रखा गया है, इस सत्र में शैलेन्द्र की बेटी व उनके नाती भी शिरकत कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यह उत्सव हावी होते बाज़ारवाद के एक विकल्प अवधारणा के रूप में स्थापित होने जा रहा है।
पहले संस्करण की उपलब्धि का ही नतीजा है, स्वयं अपने खर्चे पर बड़े नाम व व्यक्तित्व इस महोत्सव से जुड़ते जा रहे हैं जिनका स्वागत है । तीन दिन 27 से 29 तक चलने वाले समानांतर साहित्य उत्सव सच्चे साहित्य की पहचान बन सबके दिलों पर छाप छोड़ने की ओर कदम बढ़ा चुका है।